कलयुग के बाद पुनः सतयुग आ रहा है- ब्रह्माकुमार संतोष भाई
*मान शान तो व्यर्थ का धंधा है
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मनसा पूर्ण हनुमान मंदिर के पास स्थित सेवा केंद्र गंजबासौदा में कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें झारखंड से पधारे ब्रह्माकुमार संतोष भाई जी का धूमधाम से स्वागत किया गया कार्यक्रम में भाई जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि द्वापर, कलयुग के 2500 वर्षों की कालावधि में अनेक धर्मात्मायें, महात्मायें, संत, योगी, ऋषि मुनि आए जिन्होंने समय प्रति समय अपनी अपनी मतों से संसार को जगाने की कोशिश की परंतु परिणाम हम देख रहे हैं की आत्माएं और अधिक तमोप्रधान बन गई है। संसार अधिक भ्रष्ट हो गया है। चारों ओर भ्रष्टाचार, पापाचार, दुराचार, व्यभिचार, अनाचार व्याप्त हो गया है। अब स्वयं परमात्मा शिव सृष्टि पर आए हैं। ये कलयुग का अंत का महा परिवर्तन का समय है। इसलिए वे पुकार कर रहे हैं कि सृष्टि चक्र के नियम अनुसार, कलयुग के बाद पुनः सतयुग आ रहा है। इसलिए महाविनाश के पहले जो कलयुगी आत्माएं परमात्मा के आदेश पर अपने वर्तमान जीवन को पवित्र और योगी बनाएंगे वे आने वाले सतयुग में जाने योग्य बनेंगे, सतयुगी स्वर्गीय सुखों के अधिकारी बनेंगे। शिव परमात्मा के ही प्रतिनिधि बनकर पवित्र योगी ब्रह्माकुमारिया और ब्रह्माकुमार अंतरमन के प्रेम भरे स्वर से कह रहे हैं कि हे आत्माओं जागो समय को पहचानो। ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भोग भूमि त्यागने के बाद मनुष्य आत्मा योग मार्ग की राही बनती हैं। स्वकल्याण के साथ विश्वकल्याण के सेवा मार्ग की भी अनुगामी बनती हैं। जब निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं तो सेवा के फलस्वरुप मान, शान, स्थान और साधन सुविधा मिलती हैं, उसमें भी फसना नहीं है। इस दुनिया के मान, शान तो व्यर्थ का धंधा है, फालतू के हाथ पांव मारना है। सिद्धि और प्रसिद्धि के चक्रव्यूह से निकल, स्वयं परमपिता जैसे ज्ञानवान, गुणवान और शक्तिवान बन, स्वयं के परिपूर्ण योगी आचरण से परमसत्य परमात्मा को प्रत्यक्ष करना यही नितांत आवश्यक बात है। बी के रुक्मणी बहन ने झारखंड से पधारे संतोष भाई जी का पुष्पगुच्छ, शाल, श्रीफल, पटका आदि से स्वागत किया। अधिक संख्या में माता बहनों ने कार्यक्रम का लाभ लिया।
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