भाजपा द्वारा ‘जातिगत जनगणना’ का विरोध OBC से घोर अन्याय!
भाजपा का OBC विरोधी DNA। हुआ बेनकाब!
वोट की चोट से OBC - दलित - आदिवासी - गरीब देंगे जवाब!
इंदौर/ भोपाल
‘जातिगत जनगणना’ समतामूलक समाज के सृजन का स्तंभ है। ‘जितनी आबादी, उतना हक’ वक्त की मांग भी है, और सामाजिक बदलाव की क्रांति का बिगुल भी।
पिछड़े वर्गों, दलितों, आदिवासियों और गरीबों को उनकी जनसंख्या के आधार पर अधिकार देना सामाजिक समरसता का सूत्र है। इसीलिए, श्री राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी लगातार ‘जातिगत जनगणना’ की मांग उठाते आए हैं, ताकि समाज की यथार्थ स्थिति के आधार पर संसाधनों का उचित बंटवारा भी हो, व समान न्याय भी।
श्री नरेंद्र मोदी सहित पूरी भारतीय जनता पार्टी आज ‘जातिगत जनगणना’ के घोर विरोध में खड़ी है। खुद श्री नरेंद्र मोदी ने ग्वालियर में जातियों की गणना को ‘पाप’ करार दे दिया। श्री नरेंद्र मोदी के चहेते केंद्रीय मंत्री, गिरिराज सिंह तो एक और कदम आगे बढ़ गए, तथा जातिगत जनगणना को ‘भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं’ करार दे डाला। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान तथा सारे भाजपा नेतृत्व को ‘जातिगत जनगणना’ के मुद्दे पर जैसे साँप सूंघ गया हो।
कड़वा सत्य यह है कि भाजपाई ‘जातिगत जनगणना’ के घोर विरोधी हैं। उनका यह पूर्वाग्रह इस भय से संचालित है कि अगर OBC दलितों, आदिवासियों की असली संख्या उन्हें मालूम चल गई, तो वो उनका दमन नहीं कर पाएंगे।
भाजपा के डीएनए में ही OBC हकों का विरोध है। भाजपा के जातिगत जनगणना विरोधी नीति के सबूत सामने हैंः-
1. भाजपा सरकार ने शपथ पत्र दे सुप्रीम कोर्ट में जातिगत जनगणना का विरोध किया।
मोदी सरकार सहित पूरी भाजपा का OBC विरोधी चेहरा तब बेनकाब हुआ जब उन्होंने CWP No 841\2021 में शपथ पत्र दे कहा कि ‘जातिगत जनगणना न करवाना एक सोचा समझा नीतिगत फैसला है’। यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अगर अदालत भी पिछड़ों
की जनगणना का हुक्म देती है, तो यह भारत सरकार के कानून और नीति में दखलंदाजी होगी।
भारत सरकार के शपथ पत्र के संदर्भित पैरा को देखेंः
23..The exciusion of infomaton regarding any other cast fom the purview of census is a conscious policy decision taken by the Cetral Government as explained in the preceding paragraphs. In such a situation, any direction from this Honorable court to Census Department to include the enumeration Socia-Economic data to the extent relating to BCC’s of rural india in the upcoming Census 2021 as prayed, would tantamount to interfering with a policy decision as framed under section 8 of the act.
भाजपा की बदनीयति का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है?
2. OBC की आबादी लगभग 55 प्रतिशत -60 प्रतिशत, पर नौकरी में हिस्सेदारी 15 प्रतिशतः
केंद्र सरकार की ग्रुप बी और ग्रुप सी की नौकरियों में हिस्सेदारी देखें तो सबसे कम हिस्सेदारी OBC, SC,ST वर्ग की है। निम्नलिखित चार्ट देखेंः
केंद्र सरकार की ग्रुप ठ और ग्रुप ब् नौकरियों में जातियों के हिसाब से प्रतिनिधित्व
आबादी ग्रुप B ग्रुप C
OBC 52% 15.70% 22.50%
SC 16.60% 16.60% 18.20%
ST 8.60% 6.50% 6.91%
अगर सरकार चलाने वाली अफसरशाही में हिस्सेदारी देखें, तो यह हिस्सेदारी और भी कम है। निम्नलिखित चार्ट देखेंः
अफसरशाही नौकरियों में जातियों के हिसाब से प्रतिनिधित्व
आबादी ग्रुप ।
आबादी ग्रुप A
OBC 52% 16.80%
SC 16.60% 12.80%
ST 8.60% 5.60%
यह बात खुद मोदी सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में मानी है।
3. यही नहीं, भारत सरकार की नौकरियों में आज भी 2,65,000 OBC पद खाली पड़े हैं।
दलितों और आदिवासियों की खाली नौकरियों का हाल तो और भी बुरा है।
केंद्रीय PSU में तो अब OBC,SC,ST का आरक्षण ही खत्म हो रहा है, क्योंकि इनको विनिवेश की नीति के तहत बेचा जा रहा है। जैसे ही सरकारी उपक्रमों को बेचते हैं, तो OBC,SC,ST का आरक्षण अपने आप खत्म हो जाता है।
4. उच्च शिक्षा संस्थानों में भी OBC,SC,ST आरक्षित पद खाली पड़े, जानबूझकर नहीं भरे जा रहे, ताकि गरीबों को मौका न मिले।
देश में 45 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं। पिछले 9 साल की भाजपा सरकार में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 46 प्रतिशत OBC आरक्षित पद खाली पड़े हैं, यानि उन्हें नौकरी ही नहीं दी गई। इसी प्रकार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में SC वर्गों के 37 प्रतिशत आरक्षित पद व ST वर्गों के 44 प्रतिशत आरक्षित पद खाली पड़े हैं।
5. मध्य प्रदेश में भाजपा ने पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण को खारिज किया।
साल 2003 में मध्य प्रदेश में श्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने OBC आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया। सत्ता संभालने के बाद भाजपा ने इस मामले को 14 साल तक अदालत में टंगवाए रखा, और साल 2017 में भाजपा के कार्यकाल में अदालत के निर्णय से यह समाप्त हो गया।
मार्च, 2019 में मध्य प्रदेश में श्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने OBC आरक्षण को फिर 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया। जुलाई, 2019 में कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में 27 प्रतिशत OBC आरक्षण का कानून पारित कर दिया।
18 अगस्त, 2020 को भाजपा की मौजूदा सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में
यह मत दिया कि 14 प्रतिशत आरक्षण के साथ ही सभी सरकारी विभागों में भर्तियाँ की जाएं। यह OBC वर्ग के साथ खुला षडयंत्र था।
हमारा यह संकल्प है कि OBC का 27 प्रतिशत आरक्षण कांग्रेस की अगली सरकार लागू करेगी।
‘जातिगत जनगणना’ समतामूलक समाज के सृजन का स्तंभ है। ‘जितनी आबादी, उतना हक’ वक्त की मांग भी है, और सामाजिक बदलाव की क्रांति का बिगुल भी।
पिछड़े वर्गों, दलितों, आदिवासियों और गरीबों को उनकी जनसंख्या के आधार पर अधिकार देना सामाजिक समरसता का सूत्र है। इसीलिए, श्री राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी लगातार ‘जातिगत जनगणना’ की मांग उठाते आए हैं, ताकि समाज की यथार्थ स्थिति के आधार पर संसाधनों का उचित बंटवारा भी हो, व समान न्याय भी।
श्री नरेंद्र मोदी सहित पूरी भारतीय जनता पार्टी आज ‘जातिगत जनगणना’ के घोर विरोध में खड़ी है। खुद श्री नरेंद्र मोदी ने ग्वालियर में जातियों की गणना को ‘पाप’ करार दे दिया। श्री नरेंद्र मोदी के चहेते केंद्रीय मंत्री, गिरिराज सिंह तो एक और कदम आगे बढ़ गए, तथा जातिगत जनगणना को ‘भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं’ करार दे डाला। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान तथा सारे भाजपा नेतृत्व को ‘जातिगत जनगणना’ के मुद्दे पर जैसे साँप सूंघ गया हो।
कड़वा सत्य यह है कि भाजपाई ‘जातिगत जनगणना’ के घोर विरोधी हैं। उनका यह पूर्वाग्रह इस भय से संचालित है कि अगर OBC दलितों, आदिवासियों की असली संख्या उन्हें मालूम चल गई, तो वो उनका दमन नहीं कर पाएंगे।
भाजपा के डीएनए में ही OBC हकों का विरोध है। भाजपा के जातिगत जनगणना विरोधी नीति के सबूत सामने हैंः-
1. भाजपा सरकार ने शपथ पत्र दे सुप्रीम कोर्ट में जातिगत जनगणना का विरोध किया।
मोदी सरकार सहित पूरी भाजपा का OBC विरोधी चेहरा तब बेनकाब हुआ जब उन्होंने CWP No 841\2021 में शपथ पत्र दे कहा कि ‘जातिगत जनगणना न करवाना एक सोचा समझा नीतिगत फैसला है’। यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अगर अदालत भी पिछड़ों
की जनगणना का हुक्म देती है, तो यह भारत सरकार के कानून और नीति में दखलंदाजी होगी।
भारत सरकार के शपथ पत्र के संदर्भित पैरा को देखेंः
23..The exciusion of infomaton regarding any other cast fom the purview of census is a conscious policy decision taken by the Cetral Government as explained in the preceding paragraphs. In such a situation, any direction from this Honorable court to Census Department to include the enumeration Socia-Economic data to the extent relating to BCC’s of rural india in the upcoming Census 2021 as prayed, would tantamount to interfering with a policy decision as framed under section 8 of the act.
भाजपा की बदनीयति का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है?
2. OBC की आबादी लगभग 55 प्रतिशत -60 प्रतिशत, पर नौकरी में हिस्सेदारी 15 प्रतिशतः
केंद्र सरकार की ग्रुप बी और ग्रुप सी की नौकरियों में हिस्सेदारी देखें तो सबसे कम हिस्सेदारी OBC, SC,ST वर्ग की है। निम्नलिखित चार्ट देखेंः
केंद्र सरकार की ग्रुप ठ और ग्रुप ब् नौकरियों में जातियों के हिसाब से प्रतिनिधित्व
आबादी ग्रुप B ग्रुप C
OBC 52% 15.70% 22.50%
SC 16.60% 16.60% 18.20%
ST 8.60% 6.50% 6.91%
अगर सरकार चलाने वाली अफसरशाही में हिस्सेदारी देखें, तो यह हिस्सेदारी और भी कम है। निम्नलिखित चार्ट देखेंः
अफसरशाही नौकरियों में जातियों के हिसाब से प्रतिनिधित्व
आबादी ग्रुप ।
आबादी ग्रुप A
OBC 52% 16.80%
SC 16.60% 12.80%
ST 8.60% 5.60%
यह बात खुद मोदी सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में मानी है।
3. यही नहीं, भारत सरकार की नौकरियों में आज भी 2,65,000 OBC पद खाली पड़े हैं।
दलितों और आदिवासियों की खाली नौकरियों का हाल तो और भी बुरा है।
केंद्रीय PSU में तो अब OBC,SC,ST का आरक्षण ही खत्म हो रहा है, क्योंकि इनको विनिवेश की नीति के तहत बेचा जा रहा है। जैसे ही सरकारी उपक्रमों को बेचते हैं, तो OBC,SC,ST का आरक्षण अपने आप खत्म हो जाता है।
4. उच्च शिक्षा संस्थानों में भी OBC,SC,ST आरक्षित पद खाली पड़े, जानबूझकर नहीं भरे जा रहे, ताकि गरीबों को मौका न मिले।
देश में 45 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं। पिछले 9 साल की भाजपा सरकार में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 46 प्रतिशत OBC आरक्षित पद खाली पड़े हैं, यानि उन्हें नौकरी ही नहीं दी गई। इसी प्रकार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में SC वर्गों के 37 प्रतिशत आरक्षित पद व ST वर्गों के 44 प्रतिशत आरक्षित पद खाली पड़े हैं।
5. मध्य प्रदेश में भाजपा ने पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण को खारिज किया।
साल 2003 में मध्य प्रदेश में श्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने OBC आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया। सत्ता संभालने के बाद भाजपा ने इस मामले को 14 साल तक अदालत में टंगवाए रखा, और साल 2017 में भाजपा के कार्यकाल में अदालत के निर्णय से यह समाप्त हो गया।
मार्च, 2019 में मध्य प्रदेश में श्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने OBC आरक्षण को फिर 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया। जुलाई, 2019 में कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में 27 प्रतिशत OBC आरक्षण का कानून पारित कर दिया।
18 अगस्त, 2020 को भाजपा की मौजूदा सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में
यह मत दिया कि 14 प्रतिशत आरक्षण के साथ ही सभी सरकारी विभागों में भर्तियाँ की जाएं। यह OBC वर्ग के साथ खुला षडयंत्र था।
हमारा यह संकल्प है कि OBC का 27 प्रतिशत आरक्षण कांग्रेस की अगली सरकार लागू करेगी।
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