*कलेजा पसीज गया यह तस्वीर देखकर! पर नेता ,,,
भोपाल/
मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ ज़िला अस्पताल से आई एक ऐसी तस्वीर जो इंसानियत, व्यवस्था और व्यवस्था की संवेदनाओं – तीनों पर करारा तमाचा है
विकास का ढोल पीटने वाले जनप्रतिनिधि जो चुनाव में लंबे लंबे वादे करते हैं ,
हकीकत सामने है
केंद्रीय मंत्री के क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती जी का क्षेत्र क्या हालात हो गये क्षेत्र में
यह दृश्य किसी कल्पना या फिल्म का हिस्सा नहीं… "मध्य प्रदेश के टीकमगढ़" जिले के सरकारी अस्पताल की हकीकत है
एक बीमार पिता, जिसकी कलाई में सलाइन की नली लगी है। पास ही खड़ा उसका नाबालिग बेटा, जिसके हाथ में टंगी हुई है वो सलाइन बोतल।
वो बच्चा न रो रहा है, न कुछ बोल रहा… बस खड़ा है, बेजुबान सिस्टम की शर्मनाक खामोशी के सामने।
हकीकत: अस्पताल में स्टैंड नहीं था… इंसानियत भी शायद छुट्टी पर थी।
सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था की खबरें कोई नई नहीं हैं, लेकिन जब एक मासूम बेटा अपने पिता की सलाइन बोतल को पकड़कर डॉक्टरों की जगह खड़ा हो जाए, तो यह किसी प्रशासनिक चूक से कहीं आगे की त्रासदी बन जाती है। यह इंसानियत की हत्या है, गरीबी का चीत्कार है, और बेबस व्यवस्था की तस्वीर है।
हमारा सवाल/जनता का दर्द
ओर वे दर्द जनप्रतिनिधि,
क्या यही है 'जनसेवा' का चेहरा? क्या गरीब की जान यूं ही व्यवस्था के खून में डूबी सलाइन से चलती रहेगी?
वीडियो वायरल होने के बाद भी अधिकारी मौन क्यों?
वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
अस्पताल प्रबंधन की आंखें खुलीं या नहीं, ये स्पष्ट नहीं, लेकिन जनता की आंखें नम ज़रूर हो गईं।
यह खबर नहीं, व्यवस्था के माथे पर एक ज़िंदा तमाचा है।
बेटा स्टैंड बन गया, अस्पताल पत्थर बन गया…
*अगर ये तस्वीर तुम्हारी आत्मा को नहीं हिलाती, तो शायद तुम्हारा दिल भी पत्थर है।*
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