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शनिवार, 17 अगस्त 2024

सामाजिक मर्यादाओं के बंधन का यादगार पर्व है रक्षाबंधन- ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी

सामाजिक मर्यादाओं के बंधन का यादगार पर्व है रक्षाबंधन- ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी
पैसे और स्थूल उपहार की बजाय एक दूसरे से गुणों की लेनदेन करना ही सच्चा रक्षाबंधन
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सुधार ग्रह, उप जेल गंजबासौदा में रक्षाबंधन के उपलक्ष में रक्षा सूत्र, (राखी) बांधा गया। 
ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत में अनेक पर्व मनाए जाते हैं परंतु रक्षाबंधन का पर्व पूरे विश्व में व्यापक तथा लोकप्रियता का रूप धारण कर चुका है भले ही इसका रूप बदला है परंतु इसकी मान्यता आज भी काम नहीं है। जाति, धर्म, वर्ण और भाषा की परिधि को तोड़कर आज भी सर्वमान्य और लोकप्रिय है। प्रत्येक मनुष्य के अंदर रक्षा और मर्यादा का बीज होता है। चाहे वह कितना भी क्रूर क्यों ना हो सिर्फ उसे जागृत करने की आवश्यकता होती है। टूटती पवित्र सामाजिक तथा पारिवारिक मर्यादाओं को मजबूत करने तथा आतंकवाद और अत्याचार जैसी भीषण मानवीय विभीषिका को रोकने के लिए रक्षाबंधन के पर्व को सही अर्थ में मनाने की आवश्यकता है‌ संसार के रचयिता कल्याणकारी परमपिता परमात्मा के हम आत्माएं आपस में भाई-बहन है क्योंकि आत्मिक रूप में हमारा पिता सिर्फ परमात्मा है इस नाते से हमारा आपस में भाई-भाई और भाई बहन का रिश्ता है इसलिए भाषा, भेद, जाती वर्ण रंग और धर्म से ऊपर उठकर हर एक को राखी बांधकर बुराइयों से स्वयं की तरह दूसरों की रक्षा का मजबूत संकल्प करना है। रक्षाबंधन बांधने के उपलक्ष में मिलने वाले पैसे और स्थूल उपहार की बजाय एक दूसरों से गुणों की लेनदेन करें तो अपराध मुक्त और सद्भावपूर्ण भारत एक नए विश्व का निर्माण हो सकेगा सामाजिक मर्यादा सुखद और स्नेहिल पुष्पों से पल्लवित हो सकती है बशर्ते हम बुराइयों और आसुरी प्रवृत्तियों से रक्षा करने का दृढ़ संकल्प लें। यही परमात्मा का संदेश इस पर्व को हम सभी को मिलकर वैश्विक रूप से मनाने की आवश्यकता है जिससे सद्भावना हो शांतिपूर्ण संसार का निर्माण हो सके यही रक्षाबंधन का संदेश है। ब्रह्माकुमारी रुक्मिणी दीदी ने बताया कि हमारा जीवन मूल्यवान है, परमात्मा की देन है, परिवार वालों की बहुत उम्मीदें हैं, समाज की हम पर नजर है हम इन सब बातों को ध्यान रखें l हम अपने जीवन को बुरी लत से बचा सकते हैं l सदा ध्यान रहे, परमात्मा से मिला हुआ मूल्यवान शरीर यदि एक बार नष्ट होता है तो दोबारा वह वापस नहीं मिलता, इसीलिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए l पहले गलत लोगों के संग से अपना बचाव करें, सभी बंधिया को रक्षक सूत्र बांधते हुए प्रतिज्ञा कराई आज से हम बुराइयों रूपी अवगुणों से दूर रहेंगे, नया जीवन शुरू करेंगे।

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