*हमें धरती को बचाना है तो पेड़ लगाने ही होंगे- ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी
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गंजबासौदा,
प्रकृति के साथ-साथ मन के प्रदूषण को भी खत्म करने की जरूरत- ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी*
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय चर्च वाली गली बरेठ रोड स्थित सेवाकेंद्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। सेवाकेन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने कहा कि प्रकृति ने हमारी जरूरत के मुताबिक सब कुछ दिया है लेकिन जब हम लोभवश उसका अत्यधिक दोहन करने लगते हैं तब समस्या शुरू होती है। हमें पानी की कीमत तब पता चली जब वह बोतल में बिकने लगा। इसी प्रकार आक्सीजन का महत्व हमें कोविड के दौरान पता चली। आज दृढ़ संकल्पित होने की जरूरत है कि हम प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे। जल, जंगल, जमीन और जानवरों की सुरक्षा से ही पर्यावरण सरंक्षण संभव है। उन्होंने बतलाया कि प्रकृति के साथ-साथ मन के प्रदूषण को भी खत्म करने की जरूरत है। किसी के घर में जन्म दिवस होने पर उसके नाम से एक पेड़ जरूर लगाएं। जिस प्रकार प्रकृति सदा हमें निस्वार्थ भाव से देती ही रहती है, वैसे ही हमें भी अपनी उन्नति के लिए हमेशा दूसरों को देने की भावना रखनी चाहिए। साथ ही उन्होंने बताया कि बाहर की स्वच्छता के साथ हमें अपने मन की बुराइयों का कचरा भी साफ करना चाहिए क्योंकि मन के शुभ विचार प्रकृति तक पहुंचते हैं। मानव जीवन का अस्तित्व वृक्षों पर निर्भर है। मनुष्य को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन तथा पानी अति आवश्यक है। वनस्पति ही ऑक्सीजन का प्राकृतिक स्रोत है। ऑक्सीजन अति आवश्यक है इसके बिना जीवन कि कल्पना संभव नहीं है। इसलिए इसे प्राणवायु कहा जाता है। हमारे वातावरण में प्राणवायु का स्तर सामान्य बना रहे है इसके लिए पेड़ पौधे का संरक्षण आवश्यक है। अपने मुख्य वक्तव्य में ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने कहा कि हमें गर्मी लग रही है तो हम तुरंत ऐसी खरीदकर लाते है लेकिन ये नहीं सोचते की हम कम से कम आने वाले कल को सुरक्षित रखने के लिए तो पेड़ लगाये। लेकिन आने वाले समय में हम ऐसी लगाकर भी सुरक्षित नहीं रह सकेंगे, हमें धरती को बचाना है तो पेड़ लगाने ही होंगे। आगे दीदी ने कहा आध्यात्म और प्रक्रति दोनों का आपस में बहुत गहरा सम्बन्ध है। प्राचीन काल से समय प्रति समय हम प्रक्रति को देवतुल्य मानकर उनकी पूजा करते आ रहे है। लेकिन आज हमारी भावानये शून्य हो गई है। हम आधुनिकरण के लिए जंगल के जंगल काटते जा रहे है लेकिन नए पौधे नहीं लगा रहे है। प्रक्रति पुरुष और परमात्मा का बहुत गहरा सम्बन्ध है। कार्यक्रम के अंत में नन्दनी बहन ने सभी से पर्यावरण सुरक्षा के लिए प्रतिज्ञा करवाई, अनु बहन ने नारे लगवाए। प्रकृति के लिए शुभ संकल्प एवं कृतज्ञता के भाव का महत्व बताते हुए मेडिटेशन करवाया एवं परमात्मा की शक्तियों से पर्यावरण को योगदान देने का अभ्यास कराया अंत में सभी को पौधे गिफ्ट किए गए।
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