खाद संकट: आधार कार्डों की लाइन, किसानों को सिर्फ कुछ बोरी खाद, बाकी लौटे मायूस
गंजबासौदा,
क्षेत्र में खाद की किल्लत ग्रामीण क्षेत्रों में मारामारी
सुध लेने वाला कोई नहीं किसानों की खेती का सीजन चरम पर है, लेकिन खाद की किल्लत ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। गुरुवार को गंजबासौदा के इफ्को बाजार पर खाद लेने पहुंचे करीब डेढ़ से दो सौ किसानों ने लंबी लाइन लगाने के बजाय अपने आधार व दस्तावेज़ ज़मीन पर रखकर नंबर लगाया और छाया में बैठकर दुकान खुलने का इंतजार करते रहे।
लेकिन जब दुकान खुली तो वहां से सिर्फ 25–26 किसानों को ही खाद मिल सकी। दुकान पर उपलब्ध करीब सौ–सवा सौ बोरी डीएपी का स्टॉक होने से छोटे किसानों (2 हेक्टेयर तक) को 2–3 बोरी और बड़े किसानों को 5 बोरी खाद देकर वितरण बंद कर दिया गया। बाकी लाइन में खड़े किसान मायूस होकर वापस लौट गए।
हालांकि प्रशासन ने दावा किया है कि क्षेत्र की सभी खाद सोसायटीयों पर डीएपी, यूरिया और एनपीके खाद भेजी जा रही है, लेकिन सोसायटियों से केवल ऋणी किसानों को ही खाद मिल रही है। ऐसे में अऋणी किसान और डिफॉल्टर किसान बाजार के भरोसे हैं। बाजार में खाद महंगे दामों पर बिक रही है। डीएपी (सरकारी रेट 1350) की बोरी 1600–1700 रुपये में यूरिया (सरकारी रेट 270) की बोरी 350–400 रुपये में।
किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि अऋणी किसानों को भी बैंक से नगद राशि पर खाद उपलब्ध कराई जाए, ताकि उन्हें बार-बार बाजार की दौड़ न लगानी पड़े और उचित दामों पर खाद मिल सके।
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