मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह और प्रदेश कांग्रेस
प्रवक्ता अमिताभ अग्निहोत्री की संयुक्त पत्रकार वार्ता
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मप्र में व्यापमं से बड़ा नर्सिंग कॉलेज घोटाला कर
रही शिवराज सिंह चौहान सरकार
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भोपाल,
फर्जी नर्सिंग कॉलेज, फर्जी अस्पताल, फर्जी फैकल्टी
के जरिये 60 हजार छात्रों के जीवन से हो रहा है खिलवाड़
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य मो. सुलेमान, तत्कालीन आयुक्त चिकित्सा
शिक्षा निशांत बरबड़े और घोटालेबाजों के रिश्तों की हो जांच
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इतनी बड़ी मनी लॉर्डिंग होने के बावजूद ईडी और सीबीआई खामोश क्यों ?
भोपाल,
शिवराज सिंह चौहान सरकार में प्रदेश पहले ही व्यापमं घोटाले के रूप में हुए देश के सबसे जघन्य और क्रूर घोटाले का गवाह बन चुका है। अब मध्यप्रदेश में व्यापम से भी बड़ा नर्सिंग घोटाला भारतीय जनता पार्टी के संरक्षण में चल रहा है।
शिवराज सरकार सिर्फ डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले छात्रों का भविष्य और जीवन बर्बाद करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अब नर्सिंग कॉलेज के 60,000 से अधिक छात्रों का जीवन तबाह कर रही है। प्रदेश में 667 नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं।
हमें सूचना के अधिकार के तहत जो सूचना प्राप्त हुई है, उसमें मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने बताया कि वर्ष 2020-21 में 130 नर्सिंग कॉलेज अमानक हैं। इसी तरह 2021-22 में भी 130 नर्सिंग कॉलेज को मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने अमानक माना।
प्रदेश में चल रहे नर्सिंग घोटाले के घटनाक्रम पर नजर डालें तो मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल ही नहीं माननीय उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ के 29 जून 2022 के आदेश से पता चलता है कि माननीय हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने जिन 200 कॉलेजों का निरीक्षण किया उनमें से 70 कॉलेज अमानक पाये गये हैं। सरकार ने हाई कोर्ट को 18 अगस्त 2022 को रिपोर्ट सौंप कर स्वीकार किया कि 94 कॉलेज की मान्यता सरकार ने समाप्त कर दी है।
इसी तरह माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने 23 अगस्त 2022 को मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार को निलंबित करने का आदेश देकर प्रशासक नियुक्त करने का आदेश दिया। इसी मामले में पूर्व में कौंसिल की रजिस्ट्रार श्रीमती चंद्रकला दिवगैया को निलंबित किया, संगीता तिवारी प्राचार्य नर्सिंग महाविद्यालय उज्जैन को निलंबित किया, सुप्रिया विक्टर ट्यूटर एफएचडब्ल्यू, टेªनिंग सेंटर धार को निलंबित किया, नेहा टाइट्स सिस्टर ट्यूटर शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय उज्जैन को निलंबित किया, गायत्री पुरोहित सिस्टर ट्यूटर स्कूल ऑफ नर्सिंग देवास को निलंबित किया, मालती लोधी प्राचार्य स्कूल ऑफ नर्सिंग जबलपुर को निलंबित किया, सेवंती पटेल सिस्टर ट्यूटर शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय उज्जैन को निलंबित किया, शारदा नागवंशी सिस्टर ट्यूटर शासकीय महाविद्यालय विदिशा को निलंबित किया।
इस कार्यवाही से पता चलता है कि न सिर्फ कॉलेजों को मान्यता देने में घोटाला किया गया है, बल्कि जांच कर क्लीनचिट देने में भी घोटाला हुआ है। यानि व्यापमं घोटाले की तरह इस घोटाले के भी अलग-अलग स्तर हैं।
एक तथ्य और आपकी जानकारी में होना चाहिए कि नर्सिंग काउंसिल की जिस कमेटी ने इन कॉलेजों का निरीक्षण किया और बहुत से कॉलेजों को मानक के अनुरूप पाया, उस रिपोर्ट मैं भी धांधली सामने आई है और उसके बाद संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ने इस कमेटी के कई सदस्यों को नोटिस जारी किया है। यहां तक हमने आपको प्रदेश में चल रहे नर्सिंग कॉलेज घोटाले के टाइमलाइन से अवगत कराया है, लेकिन असली घोटाला इससे कहीं बहुत बड़ा और गहरा है।
सबसे पहली बात तो यह है कि जब 130 नर्सिंग कॉलेज अमानक घोषित कर दिए गए तो फिर कागजों पर यह किस तरह से चल रहे हैं। बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से छात्रों के एडमिशन और रजिस्ट्रेशन कॉलेज में कर लिए जाते हैं, लेकिन उनकी कोई कक्षाएं नहीं चलती और बाद में परीक्षा लेकर उन्हें डिग्री बेच दी जाती है।
इस घोटाले के दूसरे पहलू पर आप नजर डालें तो बड़ी संख्या में ऐसे अस्पताल सामने आए हैं, जो अमानक हैं। हमारे पास ऐसे नर्सिंग कॉलेज की पूरी सूची उपलब्ध है, जिनमें एक ही अध्यापक कई कई नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाते हुए दर्शाया गया है।
यह कुछ शुरुआती तथ्य हैं जो हमने आपके संज्ञान में रखे हैं। यानी नर्सिंग घोटाला जिस तरह से प्रदेश में चल रहा है, जहां कालेज फर्जी हैं, फैकल्टी फर्जी हैं, पढ़ाई की सुविधाएं फर्जी हैं, मान्यता फर्जी है, वहां की बुनियादी सुविधाएं फर्जी हैं और इन सब की जांच करने वाली मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल की कमेटी तक धांधली कर रही है। नर्सिंग घोटाला करने वालों के हौसले इस कदर बढ़े हुए हैं कि वह हाईकोर्ट में पेश की जाने वाली रिपोर्टों में भी तथ्यों से हेरफेर करने और झूठे साक्ष्य पेश करने से पीछे नहीं रह रहे हैं।
हमारे पास इन सभी कॉलेजों की सूची है उन फैकल्टीज की पूरी सूची उपलब्ध है जो कई कई नर्सिंग कॉलेज में पढ़ा रहे हैं। संभावना इस बात की है कि ये नर्सिंग कॉलेजों को भाजपा नेताओं के संरक्षण में मान्यता दी गई है।
यह बात हमने सिर्फ उन नर्सिंग कॉलेज के बारे में कहीं है जो मप्र नर्सिंग काउंसिल ने सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी व माननीय हाईकोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में नर्सिंग काउंसिल की जांच में अमानक पाए गए हैं, लेकिन हम दावे से कहते हैं कि प्रदेश में चल रहे 667 नर्सिंग कॉलेज की पूरी जांच की जाएगी तो इनमे से मुश्किल से 50 नर्सिंग कॉलेज ऐसे होंगे जो नेशनल नर्सिंग काउंसिल के मानकों के अनुरूप चल रहे हैं।
आप लोगों की सुविधा के लिए मैं नर्सिंग काउंसिल के कुछ नियम आपको बता देता हूं जिनसे आपको स्पष्ट हो जाएगा कि प्रदेश में वाकई कितने नर्सिंग कॉलेज नियमों का पालन कर रहे हैं एक आदर्श नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए 23,720 वर्ग फीट में टीचिंग ब्लॉक होना चाहिए और 30,750 वर्ग फिट में हॉस्टल होना चाहिए इस तरह से एक नर्सिंग कॉलेज में कम से कम 54,470 वर्ग फीट कुल निर्मित क्षेत्रफल होना चाहिए। 40 से 60 छात्रों की क्षमता वाले नर्सिंग कॉलेज के लिए एक प्रिंसिपल, एक वाइस प्रिंसिपल, दो एसोसिएट प्रोफेसर 3 असिस्टेंट प्रोफेसर और 10 से 18 के बीच ट्यूटर होने चाहिए। मेरी मध्य प्रदेश सरकार को चुनौती है कि वह लिस्ट जारी करें और बताएं कि कौन-कौन से नर्सिंग कॉलेज इन मानकों का पालन कर रहे हैं। इसके अलावा नर्सिंग कॉलेज के लिए 100 बिस्तर का अस्पताल भी अनिवार्य है।
हम, आपके माध्यम से यह पूछना चाहते हैं कि क्या इतने स्तर पर कोई धांधली मुख्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा मंत्री मध्य प्रदेश, नर्सिंग काउंसिल आयुक्त चिकित्सा शिक्षा, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा की मर्जी के बगैर हो सकता है। मैं यह बातें इसलिए बहुत गंभीरता से पूछ रहा हूं क्योंकि यह 60,000 नर्सिंग छात्रों के भविष्य का सवाल नहीं, बल्कि उन करोड़ों नागरिकों के स्वास्थ्य का भी सवाल है, जिनकी सेवा आगे चलकर इन झूठे नर्सिंग कॉलेज से पढ़कर निकले छात्र करेंगे।
आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश का नर्सिंग घोटाला व्यापम घोटाले के साथ ही शुरू हुआ था जिस पर शिवराज सरकार अब तक पर्दा डाल रही। इस संबंध में 8 फरवरी 2007 को भी लोकायुक्त महोदय को शिकायत की गई थी और साक्ष्य उपलब्ध कराए गए थे। लेकिन माननीय लोकायुक्त की जांच किस नतीजे पर पहुंची और किसे दोषी पाया गया, आज तक सार्वजनिक नहीं हुआ है। लोकायुक्त को सौंपी गई उस शिकायत में भी भाजपा नेताओं से जुड़े नर्सिंग कॉलेज की एक सूची उपलब्ध कराई गई थी।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य मो. सुलेमान, तत्कालीन आयुक्त चिकित्सा, शिक्षा निशांत बरबड़े और घोटालेबाजों के रिश्तों की जांच हो। यही नहीं इस पूरे घोटाले में मनी लॉर्डिंग के भी स्पष्ट प्रमाण सामने आ चुके हैं। लिहाजा, ईडी और सीबीआई जैसी संस्थाएं अब तक खामोश क्यों है, उनकी चुप्पी किस गहरे संकेत हो इंगित कर रही है?
हम मांग करते हैं कि सरकार इस तरह के घोटाले को संरक्षण देने के बजाय हाईकोर्ट की निगरानी में पूरे मामले की जांच सौंपे। यदि घोटाला इसी तरह आगे बढ़ता गया तो कहीं व्यापमं घोटाले की तरह इसमें भी बड़े पैमाने पर संदिग्ध मौतें और हत्याएं न होने लगंे। व्यापमं घोटाले पर तभी लगाम लग पायी थी, जब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया था। बेहतर होगा, बच्चांे के भविष्य और उनकी जान की रक्षा की जाये और इस मामले पर तत्काल कदम उठाये जायें।
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