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शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

इंदौर जिले में बड़ी संख्या में किसान अपनाने लगे हैं प्राकृतिक खेती

   इन्दौर जिले में राज्य शासन विशेषकर कलेक्टर  सिंह की पहल पर बड़ी संख्या में किसान प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिये आगे आये हैं। सैकड़ों किसानों ने उत्साहपूर्वक प्राकृतिक खेती की शुरूआत की है।

          

   इस वर्ष खरीफ सीजन में एक हजार 567 कृषकों द्वारा प्राकृतिक खेती का पंजीयन कराया गया है। इसमें से लगभग एक हजार से अधिक कृषकों ने शुरूआती तौर पर सोयाबीन एवं सब्जियों में प्राकृतिक खेती की शुरूआत की है। जिले में लगभग 615 एकड़ रकबे में कृषकों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है। आगामी रबी सीजन में प्राकृतिक खेती का रकबा बढ़ने की संभावना है। जिले में आज दिनांक तक 385 मिलीमीटर (15.4 इंच) वर्षा हो चुकी है। वर्तमान में फसल की स्थिति बहुत अच्छी है। अभी तक मुख्य फसल सोयाबीन 2 लाख 14 हजार 735 हेक्टर मेंमक्का 11 हजार 608 हेक्टर में एवं अन्य फसलों एवं सब्जी सहित 2 लाख 49 हजार 267 हेक्टर में बोनी हो चुकी है।

राज्य शासन की प्राकृतिक खेती की महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन पर इंदौर जिले में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कलेक्टर श्री मनीष सिंह के निर्देश में प्राकृतिक खेती के लिये विशेष मुहिम चलाई जा रही है। इस मुहिम के तहत प्रारंभिक दौर में कृषि विभाग के अधिकारी/कर्मचारियों को प्राकृतिक खेती के लिये प्रशिक्षित किया गया। इन अधिकारी/कर्मचारियों ने मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित होकर गांव-गांव जाकर किसानों को प्राकृतिक खेती के लिये प्रशिक्षित किया। प्राकृतिक खेती को कलेक्टर श्री मनीष सिंह के निर्देशन में जनआंदोलन का रूप दिया जा रहा है। कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने स्वयं गांव-गांव जाकर किसानों को प्राकृतिक खेती के लिये प्रोत्साहित किया। इसी परिणाम है कि आज सैकड़ों की संख्या मे किसान आगे आकर प्राकृतिक खेती को अपनाने लगे हैं। जिले के गांवों में प्राकृतिक कृषि के इच्छुक कृषकों के खेतों पर कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अधिकारियों ने जाकर तकनिकी एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया। उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती के लिये भौतिक रूप से लगने वाले जीवामृत एवं घनजीवामृत बनाकर प्रत्यक्ष रूप से दिखाया।

बोनी के पूर्व ही कृषकों को प्राकृतिक खेती के लाभ से अवगत कराते हुए जिला स्तरीयविकासखण्ड स्तरीय एवं ग्राम पंचायत स्तरीय प्रशिक्षणों का निरंतर आयोजन किया गया। कृषक प्राकृतिक खेती हेतु जागरूक हुए है। कृषि विभाग द्वारा बोनी के पूर्व ही कृषकों के खेतों में जीवामृत एवं घनजीवामृत बनाकर तैयार रखा गया तथा अनुकूल मौसम होने पर जीवामृत एवं घनजीवामृत का उपयोग कर प्राकृतिक पद्धति से खेती की गई है। वर्तमान में फसलों की स्थिति अच्छी है। प्राकृतिक खेती के संबंध में विभागीय अधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सतत् भ्रमण एवं निरीक्षण किया जा रहा है।

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