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मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

उच्च न्यायालय के स्पष्ट फैसले के बाद जजपाल सिंह जज्जी, राहुल लोधी की विधायकी से सदस्यता समाप्त क्यों नहीं ?जज्जी के खिलाफ एफआईआर न होने का कारण क्या कांग्रेस ?



उच्च न्यायालय के स्पष्ट फैसले के बाद जजपाल सिंह जज्जी, राहुल 
लोधी की विधायकी से सदस्यता समाप्त क्यों नहीं ?

जज्जी के खिलाफ एफआईआर न होने का कारण क्या ?: कांग्रेस

भोपाल, 

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने अशोकनगर व खरगापुर से भाजपा के टिकिट पर निर्वाचित विधायकद्वय जजपाल सिंह जज्जी और राहुल लोधी की विधायकी समाप्त करने बावत उच्च न्यायालय के फैसलों के बाद मप्र विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त नहीं किये जाने को लेकर सरकार की राजनैतिक नीयत पर सवालिया निशान लगाया है। उन्होंने कहा कि मप्र में सत्तारूढ़ दल और विपक्ष को लेकर दोहरे कानून चलाये जा रहे हैं, जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है।  
 मिश्रा ने कहा कि भाजपा के एक विधायक राहुल लोधी की विधानसभा में  सदस्यता को लेकर माननीय उच्च न्यायालय की स्पष्ट मंशा के बावजूद संवैधानिक स्थिति पर जहां सस्पेंस बरकरार है, वहीं सोमवार को उच्च न्यायालय द्वारा भाजपा के ही एक ओर विधायक जजपाल सिंह जज्जी के फर्जी जाति प्रमाणपत्र को लेकर दिये गये फैसले के बाद उन पर धारा-420 के तहत मुकदमा दर्ज करने के साथ 50 हजार रूपये का अर्थदण्ड भी आरोपित किया गया है। उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद 24 घंटों से भी अधिक का समय हो गया है, किंतु प्रदेश की कथित जागरूक सरकार और पुलिस ने अब तक उनके विरूद्ध एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करायी! इससे स्पष्ट हो रहा है कि सत्ता के नशे के आगे संविधान और कानून दोनों ही बौने साबित हो रहे हैं? 
श्री मिश्रा ने कहा कि पूर्व मंत्री श्री राजा पटेरिया का कथित वीडियो सार्वजनिक होेने के बाद कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष श्री कमलनाथ ने पार्टी का रूख तत्काल प्रभाव से प्रकट कर दिया, किंतु जिस तत्परता से शिवराज सरकार ने उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया, न्यायालय ने उन्हें जेल भेज दिया। उतनी ही तत्परता गत् दिनों भोपाल से निर्वाचित सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर की गई अपमानजनक टिप्पणियों और आतंकवादी गोडसे को देशभक्त बताने पर जिसे लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मन से कभी भी माफ नहीं किये जाने के सार्वजनिक बयान के बावजूद भी उन्हें क्यों और किसके दबाव में माफ कर दिया गया?

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