अर्पित महेश मुदगल :---
तवांग में गलवांन जैसा जबाब देकर भारतीय सेना ने चीन का घमंड कर दिया खंड खंड
भारत तिब्बत सहयोग मंच की तवांग तीर्थयात्रा ने चीन का छीन लिया है चैन
भारतीय सेना के शौर्य ने ड्रैगन को खदेड़ा, सदमें में है चीन
भिण्ड।,
विगत 9 दिसम्बर को तवांग में चीनी सैनिकों से हुई झड़प को लेकर भारतीय सेना के शौर्य की प्रशंसा की गई है।
तवांग में भारतीय सीमा में घुसे 300 चीनी सैनिकों का भारतीय सेना ने दिया करारा जवाब.....
अरुणाचल प्रदेश में भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक बार फिर से झड़प हुई । इस बार ये संघर्ष अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हुआ। 9 दिसंबर 2022 को, करीब 300 PLA सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में LAC को क्रॉस करने की कोशिश की। PLA की इस हरकत का भारतीय सैनिकों ने दृढ़ता और सूझबूझ से मुकाबला किया। इस आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के जवानों को मामूली चोटें आईं। हालांकि, दोनों पक्ष तुरंत इलाके से पीछे हट गए। बाद में क्षेत्र में भारत के कमांडर ने शांति बहाल करने के लिए अपने चीनी समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग भी की। मिली जानकारी के मुताबिक इस झड़प में भारत के सैनिक घायल हुए हैं वहीं चीन के भी कई सैनिक घायल हुए हैं, जिनकी संख्या अधिक बताई जा रही है। हालांकि भारत का कोई भी सैनिक गंभीर रुप से घायल नहीं है। अक्टूबर 2021 में अरुणाचल प्रदेश के यांगत्से में भी दोनों देशों के सैनिकों में विवाद हुआ था, लेकिन ऐसी नौबत नहीं आई थी। 15 जून, 2020 की घटना के बाद यह अपनी तरह की पहली घटना है। तब लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे। सूत्रों के अनुसार, इस झड़प में चीन के ज्यादा सैनिक चोटे खाये है.
भारत तिब्बत सहयोग मंच युवा विभाग के राष्ट्रीय महामंत्री अर्पित महेश मुदगल ने भारतीय सेना की तारीफ करते हुए एक टिप्पणी की , भारत तिब्बत सहयोग मंच के आव्हान पर राष्ट्रवाद से प्रेरित जागरण कर रही तवांग यात्रा में पहुंचने वाले यात्रियों से विचलित हो रहा चीन, लघु भारत के रूप में देशवासी देशभर से चल कर 11वीं तवांग यात्रा में बुमला बॉर्डर पर पहुँचकर चीन के खिलाफ प्रदर्शन करने इस यात्रा में शरीक हुए और भारतीय सैनिकों ने जिस तरह से चीन की घुसपैठ को नाकाम करते हुए एलएसी पर रोड़ा कर रहे चीनी ड्रैगन को बुरी तरह से खदेड़ा है, इससे चीन बौखला रहा है। अब चीन को करारा जबाब देने का समय आ गया क्यों कि चीन बार बार 1962 की तरह छल से विस्तारवादी नीति को बढ़ाने का दुस्साहस कर रहा है। लेकिन शायद चीन यह भूल रहा है कि चीन की सीमा चीन की दीवार है , वैसे भी अब यह 1962 का नही बल्कि 2022 का भारत है जो विश्व में शांति का पैगाम देना जानता है तो किसी भी वैश्विक महाशक्ति से निपटने की क्षमता भी रखता है। चीन की सरकार और उसकी सेना को यह भलीभांति अहसास डोकलाम और गलवांन में हो चुका है अब फिर तवांग में जो बखेड़ा उसने खड़ा करने का प्रयास किया उसका माकूल जबाब भारतीय सेना से उसे मिल गया है।
उन्होंने कहा पूर्वोत्तर क्षेत्र में जिस प्रकार के राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत राष्ट्रवादी कार्यक्रम होने लगे हैं तबसे चीन की सिटीपीटी गुम हो गई है उसे मालूम है अब भारतीय जनमानस तिब्बत की आज़ादी, कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिये बेचैन है , अब चीन पहले की तरह भरतीय सीमा में घुसपैठ भी नही कर सकता है क्योंकि आज भारत की सेना के जवान हर मोर्चे पर मुस्तेदी से डटे हैं।
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