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शुक्रवार, 10 मार्च 2023

भोपाल ऐम्स के बाहर पैथोलॉजी की कुछ दुकाने बनी मरीजों के लिए मुसीबत ,खुलेआम आम नागरिकों की जिंदगी से कर रहे खिलबाड़ ,प्रशासन. मौन

भोपाल ऐम्स के बाहर पैथोलॉजी की कुछ दुकाने बनी मरीजों के लिए मुसीबत ,खुलेआम आम नागरिकों की जिंदगी से कर रहे खिलबाड़ ,प्रशासन. मौन 

भोपाल: 
कहने को तो तो देश के जानेमाने हास्पिटल्स का नाम आता है ..लेकिन करोड़ो  अरबों की लागत से बने .आयुर्वेद संस्थान की धज्जियां किस कदर की प्रशासनिक अधिकारियों ने उड़ाई जगजाहिर हे ऐसे ही जानकारी अनुसार  हाल ऐम्स मे बाहर से आये हेरान परेशान मरीजों की जान से खिलबाड़ कर रही बाहर की कुछ लेबे हे जिनका कोई मापदंड नहीं हे अगर डाक्टर ने जांच लिख दी वो भी बाहर की तो उसका तो भगवान ही मालिक हे एक जांच अगर एक पैथोलॉजी पर जायेंगे तो रेटों का कोई स्थाईतव नहीं है जिसको जो मनमे आया वह रेट लगाते है जब हमने ईसकी पड़ताल की तो सच सामने आया पूरे ऐम्स क्षेत्र मे कुछ पैथोलॉजी पर मनमाने दामों में जांचे कराई जाती है जिनका कोई रेट फिक्स नही हे एक पर वहीं जांच 100 की है तो दूसरे पर 1,000 ,भी देना पड़ सकते ऐसा ही मामला एक महिला की जांच का सामने आया जांच के नाम पर फर्जी लेटर हेड साईन किये हुये अधिकतर पैथोलॉजी पर रखे हुये हे जिनको बाकयदा जांच करवा मरीथों को सोंप दिया जाता है सीधे साधे मरीजों के परिजनों को मंहगी जांचो के नाम पर लूटा जाता है यहां तक की फर्जी जांच तक मिलने की खबर आ रही है आखिर क्यो फर्जी जांच केंद्रों पर प्रशासन छापे नहीं डालता एक ही डाक्टर के नाम पचासों लेब कलेक्शन सेंटर मतलब बिनापड़ेलिखे भी लेब खोल सकते है मरीज जिंदा रहे या मरे अधिकारी को कोई लेना देना नही
अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान भोपाल में चिकित्सकों की काफी कमी है। यहां चिकित्सकों के स्वीकृत 1037 पद में से 820 पद भरे हुए हैं। जबकि 217 पद खाली है। चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे एम्स अस्पताल में चिकित्सकों की कमी से यहां की स्थिति क्या होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि कोविड काल में यहां बिस्तरों की संख्या में बेतहासा वृद्धि हुई है। दो साल पूर्व यह अस्पताल 200 बिस्तरों का हुआ करता था। जिसे बढ़ाकर अब 850 कर दिया गया है। बेड तो बढ़ा दिए गए। बेड में मरीज भी भर्ती होने लगे। लेकिन चिकित्सकों की नियुक्ति के संबंध में शासन द्वारा कुछ नहीं किया गया। गौरतलब है कि भोपाल में इतने अधिक बिस्तरों वाला कोई अस्पताल नहीं है।

कोरोना काल में सुधरी स्थिति

बताया गया है कि अस्पताल की स्थिति कोरोना काल में सुधरी थी। 2020-21 यहां 24 आपरेशन थियेटर तैयार किए गए। जिसमें जिसमें से 16 ओटी में काम हो रहा है। कोरोना संक्रमण के दौरान मरीजों की संख्या बढ़ने पर अस्पताल में 500 से अधिक बिस्तर बढ़ाए गए। इन बिस्तरों को उस समय कोविड पेशेंट के लिए आरक्षित किया गया था। हालात सामान्य होने पर अब इन बिस्तरों का इस्तेमाल अन्य विभागों में किया जा रहा है।

यहां सबसे अधिक परेशानी
भोपाल एम्स (AIIMS, Bhopal) में सबसे अधिक परेशानी हार्ट के मरीजों(Heart Patients) को उठानी पड़ रही है। हार्ट विभाग में चिकित्सकों की कमी होने के कारण ऐसे हालात बने हैं। यहां एक भी फैकल्टी नहीं है। इस विभाग में व्याप्त समस्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हार्ट मरीजों के लिए एक सप्ताह में एक दिन की ओपीडी का संचालन किया जा रहा है। वह भी सिर्फ शुक्रवार को। यहां बीएमएचआरसी से एम चिकित्सक हर शुक्रवार को ओपीडी में मरीजों को देखने के लिए आते हैं।


अन्य की अपेक्षा बेहतर स्थिति
देश में 19 एम्स अस्पताल है। इन अस्पतालों में से भोपाल एम्स की स्थिति अन्य की अपेक्षा काफी बेहतर है। अब चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे एम्स भोपाल की स्थिति अन्य एम्स की अपेक्षा अच्छी है तो अन्य एम्स में मरीजों की स्थिति क्या होगी इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।खेर जो भी हो पैथोलॉजी लेब पर जांच होनी चाहिए लोगों की जान से खिलबाड़ करनेवाली  फर्जी संचालित हो रही लेबों पर देशद्रोह की कार्यवाही होनी चाहिए

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