लीक छांड तीनहिं चलें,कवि-कुल, सिंह,सपूत
गंजबासौदा,
साहित्यकार संघ वासोदा के सृजन शील रचनाकारों ने ओम पिरकाश आर्य के निवास पर शीतकालीन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता शिक्षा वरिष्ठ रचना कार
अशोक शाह पेन्टर व्दारा की गई
एवं संचालन चन्द्र कुमार तारन संपादक सॄजन परिदृश्य व्दारा किया गया इस अवसर पर सर्व प्रथम वीणापाणी मां सरस्वती के चित्र के समक्ष पूजन अर्चन वंदन उपरांत दीप प्रज्वलन कर पुष्पमाल अर्पित की तत्पश्चात विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन का शुभारम्भ करते हुये वरिष्ठ रचना कार ओपी प्रजा पति ने महाप्राण महाकवि सूर्य कान्त त्रिपाठी निराला जी की अमर
स्वर धारा सरस्वती वंदना का मधुर गायन किया गया तदुपरांत
चन्द्र कुमार तारन संपादक सॄजन परिदृश्य ने कवि-कुल की परंपरा का उल्लेख करते हुये कहा की
"लीक-लीक कायर चले, लीकहि चले कपूत
लीक छांड तीनहिं चलें कवि-कुल
सिंह,सपूत "
युवा कवि पंकज नामदेव ने कहा की "समय की धारा को भी मोड
सकता है कवि "
शायर फहीम वासोदवी अपनी दिलकश आवाज में कहा
"जुल्म फिर जुल्म है वडता है तो मिट जाता है "
वैद्य राज निहाल सिंह पंथीजी कवि ने सत्य से साक्षात्कार कराते हुए कहा की
"नाम वडा किस काम का जो किसी के काम न आये
सागर से नदिया भलि जो सवकी प्यास वुझाये"
डा भगवतदत्त जिज्ञासु जी ने ऋषिवर दयानंद सरस्वती के विचारों से अवगत कराया
शायर अजीम भाई ने सम सामायिक सन्दर्भों रेखांकित करते हुये कहा की
"अव नफरतों के ओर ना पत्थर उछालिये"
ओमप्रकाश आर्य ने कहा की
"आ दर्द मेरे दर्द में समाहित हो जा"
सूर्यप्रकाश श्रीवास्तव ने अपनी मधुर आवाज में कहा की
"यह वो जहाँ है,जहाँ कोख विकती है दिल विकते है "
युवा कवि एडवोकेट राजेश भावसार ने सूर्य की तरह तेजस्वी
वनने की वात कही
युवा कवि एडवोकेट अनिल त्रिपाठी ने वर्तमान समाज मे व्याप्त पाखण्ड को रेखांकित करते हुये कहा की
"माता-पिता,गौवंश का हो रहा
अपमान "
कवियों ने शीतलहर की सर्द हवाओं के मध्य गीत गजल कविता नज्म के माहिर फनकारों
ने समूचे परिदृश्य को ऊर्जावान वना दिया
चन्द्र कुमार तारन संपादक सॄजन परिदृश्य
कृपया समाचार फोटो सहित प्रकाशित करें एवं अनुगृहित करें
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