बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान 09 जून तक
*किसी बालक से भीख मंगवाने पर 5 वर्ष के कारावास और एक लाख रूपये के दण्ड का प्रावधान*
जागरूकता के बाद भी बड़ा रहे भिकारी,
रोजगार न होना भी एक वजह,
भोपाल,
शहरी क्षेत्रों के ट्रैफिक चौराहों, धार्मिक स्थलों, पर्यटन स्थलों, रेलवे स्टेशन, बस स्टेण्ड एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे स्वयं या अपने परिवारों के साथ भिक्षावृत्ति में संलग्न पाये जाते देखे गए है। शहरी क्षेत्रों में बाल भिक्षावृत्ति में कई बार अन्य राज्यों/जिलों के बच्चे भी सम्मिलित होते है जिन्हे भिक्षावृत्ति के उद्देश्य के लिए तस्करी कर बलात् लाया जाता है। भिक्षावृत्ति के कार्य में संलग्न अधिकांश बच्चे नशे में संलिप्त भी होते हैं। यह भी देखा गया है कि भिक्षावृत्ति में लिप्त परिवारों के द्वारा नवजात शिशुओं एवं छोटे बच्चों के जरिये भी भीख मांगने, मांगने का कार्य किया जाता है, जो कि बच्चों के हित में नहीं होने के साथ-साथ उनके लिए अत्यंत जोखिमपूर्ण और उनके विकास में बाधक भी
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 76 में भीख मांगने के प्रायोजन के लिए बालक को नियोजित करने या किसी बालक से भीख मंगवाने पर 5 वर्ष के कारावास और एक लाख रूपये के दण्ड का प्रावधान है।
बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम के लिए राज्य शासन द्वारा "सड़क पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए नीति 2022" लागू की गई है, जिसके तहत भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का चिन्हांकन कर, बच्चों तथा उनके परिवारों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का प्रावधान किया गया है। किशोर न्याय अधिनियम के उक्त प्रावधानान्तर्गत एवं संचालानालय महिला एवं बाल विकास विभाग से प्राप्त निर्देशानुसार भोपाल जिले में बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम के लिए 20 दिवसीय जागरूकता अभियान 20 मई से 09 जून 2024 तक जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों यथा महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय विभाग, स्कूली शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग, खेल एवं युवक कल्याण विभाग, श्रम विभाग, नगरीय प्रशासन आदि के समन्वय के साथ-साथ जिले में कार्यरत अन्य स्वयं सेवी संस्थाओं को साथ मिलकर भिक्षावृत्ति की रोकथाम के लिए सघन जागरूकता अभियान का संचालन किया जा रहा है।
भोपाल जिले में बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम के लिए शहरी क्षेत्र के 15 ऐसे स्थानों को चिन्हांकित किया गया है, जहां प्रायः बच्चें बाल भिक्षावृत्ति करते देखे गये है। चिन्हांकित प्रत्येक "हॉट स्पाट" पर महिला बाल विकास की क्षेत्रीय पर्यवेक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के साथ अन्य विभागों पुलिस विभाग, नगरीय प्रशासन, स्वयं सेवी संगठनों से मिलकर दल तैयार किया गया है। यह दल अपने क्षेत्र के चिन्हांकित हॉट स्पॉट की सघन निगरानी रखेगा एवं भिक्षावृत्ति करते पाये गये बच्चें एवं बच्चों के परिजनों को उचित परामर्श देगा साथ ही बच्चें या बच्चें के परिवार को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए डाटाबेस तैयार करेगा।
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