सलाइन की जगह अस्पतालों में चढ़ाया
15 हजार बोतल पानी
भोपाल
मध्यप्रदेश सरकारी अस्पतालों में भर्ती सैकड़ों मरीजों को सलाइन के नाम पर पानी चढ़ा दिया गया। इसमें दवा के साल्ट ही नहीं मिले हैं। सेंट्रल ड्रग लैब कोलकाता की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। दमोह में 4 जुलाई को सीजर ऑपरेशन के बाद हुई चार गर्भवती महिलाओं की मौत के लिए भी खराब एंटीबायोटिक जिम्मेदार था। इसमें अशुद्धियां मिलने से एंटीबायोटिक ही संक्रमित था। इससे महिलाओं की किडनी खराब हो गई। म.प्र. पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉर्पोरेशन लि. ने इन दोनों दवाओं को प्रतिबंधित कर कंपनियों को 2 साल ब्लैकलिस्ट किया है। सलाइन में गड़बड़ी की शिकायत सीएमएचओ बड़वानी ने की थी। इसमें विजन पेरेंटेरल प्रालि गोरखपुर से खरीदी रिंगर लेक्टेट, सोडियम क्लोराइड, पोटेशियम क्लोराइड, कैल्शियम क्लोराइड इंफ्यूजन में गड़बड़ी बताई गई थी। इसके बाद सेंट्रल ड्रग लैब कोलकाता में सैंपल जांच कराई। इसमें यह दवा अमानक मिली। रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि इसमें संबंधित साल्ट नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने 4.54 लाख रुपए से इसकी 22 हजार बोतल खरीदीं। रिपोर्ट आने तक इनमें से 15 हजार बोतल मरीजों को चढ़ाई जा चुकी थीं। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने आयुक्त/संचालक, म.प्र.चिकित्सा सेवाएं, संचालनालय, भोपाल से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन एक माह में मांगा है
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