*स्टेशन हनुमान मन्दिर , रेलवे स्टेशन के पास धरना प्रदर्शन के बाद भी नहीं हटी शराब दुकान.....!*
पचमा वायपास सरकारी स्कूल,कालेज, दो दो मंदिर,के बाद भी चल रही दुकान
*नेता,समाजसेवी, व्यापारी, ,पार्षदो ने दी मौन स्वीकृति*
विदिशा /गंजबासौदा
समाचार/हरीश भावसार
जिले में कम्पोजिट शराब की दुकानों का ठेका हो चुका है और आबकारी विभाग ने भी समूहवार दुकानों का आवंटन कार्य पूरा कर एक बड़ी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ली है।
कुछ जगहों पर पब्लिक का विरोध है तो कुछ स्थानों में स्थानीय नेता पिछले वर्ष से अधिक सहयोग निधि बढने पब्लिक को आगे कर धरना, प्रदर्शन,आंदोलन को किया था सूत्र बताते हैं की मंदिर रेलवे स्टेशन स्कूल कालेज होने के बाद भी दुकान नहीं हटाई गई कोरे आश्वासन जनता को मिले चुनाव में फायदा लेने जनप्रतिनिधि आगे आये धरना प्रदर्शन किया , लेकिन नतीजा शून्य ! आबकारी विभाग के अधिकारी नियम कानून को ताक पर रख सरकारी खजाना भरने में लगे हैं। फिर चाहे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हों या बच्चों और युवकों के मन पर विपरीत असर पड़े। विभाग के अधिकारियों ने न तो मंदिर-मस्जिद की परवाह है और न ही अस्पतालों और शिक्षण संस्थानों की। अधिकारियों से सांठगांठ कर ठेका लेने वालों ने जहां चाहा वहीं देशी, अंग्रेजी, बीयर और भांग का ठेका खोल दिया ! विभागीय, जिला एवं पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बन नियम विरुद्ध कार्य करने मौन स्वीकृति दिये हुए हैं!
न खुलने का टाईम न बंद होने का ठेकेदार के गुर्गे कहां के है किसी को पता नहीं रेट लिस्ट भी किसी दुकान पर नहीं सुरा शौक़ीनों की मानें तो मनमर्जी के रेट लिये जा रहे आबकारी अधिकारी ने सुन पा रहे न देख पा रहे, शायद मोतियाबिंद हो गया है विभाग को,
*मंदिर, मस्जिद, शिक्षण संस्थानों को किया दरकिनार, खुल गई शराब दुकान*
पचमा वायपास ,नया बस स्टैंड, महाराणा प्रताप चौक, डाल्फिंनन, स्कूल के बच्चे भी यही से निकलते हैं लेकिन प्रशासन बे खबर क्षेत्र के लोगों ने ज्ञापन दिया, आंदोलन किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं के समीप संचालित शराब की दुकान किस नियम के तहत खुली यह तो आबकारी और जिला प्रशासन ही बता सकता है...? लेकिन नियम विरुद्ध तरीके से खोली गई शराब दुकान का बात-बात पर धरना, प्रदर्शन ,आंदोलन करने वाले अब तक किसी भी समाजसेवी, राजनीतिक दल के नेतागण एवं वार्ड पार्षद ने दोबारा 4 साल बाद भी अब तक अपना विरोध क्यों दर्ज नहीं कराया यह समझ से परे है.....!
हो सकता है कि शराब ठेकेदार ने सब की महिनवारी फिक्स कर दिया हो अथवा किसी लालच के तहत हाथ बांध दिया हो .......? लेकिन ताजुब इस बात का भी है कि शराब दुकान के आसपास संचालित दुकानदारों, सहित धार्मिक संगठनों एवं उससे जुड़े व्याक्तियों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया यह भी समझ परे हैं !
*धार्मिक भावनाएं होगी आहत, अपराधो में होगा इजाफा .....!*
लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होतीं हैं तो होतीं रहे ! लेकिन शराब कारोबारी ने विभागीय अधिकारियों से सांठगांठ कर के समीप शराब दुकान खोल दी ! स्टेशन शराब दुकान के ठीक सामने लगभग 40-50 वर्ष पुरानी प्राचीन प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है रेलवे स्टेशन है
स्टेशन से मील रोड चौराहा एक अति व्यस्त चौराहों में से एक है जहां सब्जी मंडी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक भी है एवं दैनिक सुविधाओं की थोक एवं फुटकर की ज्यादा दुकानें संचालित है ! वही बगल में बैंक भी शराब दुकान के समीप संचालित हो रहा है बैंक के नीचे ही एटीएम की मशीन लगी हुई है!
! सब्जी मंडी एवं अन्य सौंदर्य प्रशासन की दुकानों बड़े मोल लाज में लगभग हजारों लोगों का प्रतिदिन आना जाना हैं ! इसी चौराहे से प्रतिदिन हजारों छात्राएं एस के स्कूल , जीडीसी कॉलेज आती जाती हैं इसी चौराहों से ऑटो एवं रिक्शा लेकर छात्राएं अपने घर की ओर जाती है! शराब ठेकेदार ने किस नियम के तहत शराब दुकान खोली है वह तो आबकारी एवं जिला प्रशासन ही बता है .. ..? आबकारी पुलिस के सुत्र बताते हैं की शराब ठेकेदार ने ईमान की कीमत तय कर आबकारी एवं जिला प्रशासन को धृतराष्ट्र बनने पर मजबूर कर दिया है ! सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने रहने का ढोंग अब सालो से चल रहा है
*त्यौहारों में प्रकाश, स्टैचू चौराहा में होती है हजारों की भीड़*
रक्षाबंधन, नवरात्रि, होली, दिवाली,गणेश चतुर्थी, तीजा, करवा चौथ, सहित हिन्दू समाज के सभी त्योहार में गांव एवं शहर के व्यापारी इन्हीं चौराहा पर ही रोड पर ही दुकान लगाकर अपना व्यापार करते हैं! रामनवमी नवरात्रि दशहरा, भगवान जगरनाथ रथ यात्रा, मुस्लिम समाज की अनेकों सामाजिक यात्राएं एवं विभिन्न समाज की पदयात्रा इन्हीं मुख्य मार्गो से निकलती है जिसमें हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहते है
आबकारी विभाग के सुत्र बताते
आबकारी एवं विभाग की ताज्जुब की बात है कि आला अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंगती है। यदि उनको ऐसी किसी अबोध संचालन की जानकारी होते हुए भी तो फिर उनके उच्च ओहदों पर बने रहना सवालिया निशान है। अगर वरिष्ठ अधिकारी जानकार अनजान बने हुये हैं तो साफ जाहिर है कि वे कथरी ओढ़कर घी पी रहे हैं ......?
पुरानी फोटो, साथ-साथ
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