विश्व को प्रकाश देने वाली अद्भुत मनी रही दादी- ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी
गंजबासौदा,
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के पास स्थित सेवा केंद्र पर राजयोगिनी प्रकाशमणि दादी का 16 वा स्मृति दिवस विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया गया ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने बताया कि आज के दिन विश्व की 147 देशों में लाखों भाई- बहनों के द्वारा दादी को याद किया जाता है। आगे दादी की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहा कि दादी एक महान हस्ती, एक दिव्य विभूति जिन्होंने सारे विश्व को प्रेम का पाठ पढ़ाया और अनेक महात्माओं को ईश्वरीय अनुभूति कराई वह सदा कहती थी हमने अपने फॉलोअर्स तैयार नहीं किए, बल्कि हमारे तो सभी भाई बहन हैं जो एक-एक स्वयं में लीडर्स है। गुणमूर्त दादी मां का ऐसा कुशल प्रशासन जो सभी के मन मस्तिष्क पर ही नहीं अपितु सभी के हृदयों पर भी था कभी भी उनके नेतृत्व पर किसी को तनिक भी संदेह नहीं हुआ ना ही असुरक्षा की लेस मात्र छाया पड़ी। दादी जी के जीवन का मौलिक सिद्धांत रहा नेकी करो और भूल जाओ वह निंदा ग्लानी करने वालों को सहर्ष गले लगा लेती थी अपकारी पर भी उनका सतत उपकार बरसा। इतना ही नहीं, अपराध बोध ग्रस्त व्यक्ति को दादी ने मानो परिवर्तन कर महान जीवन भी प्रदान किया। दादी जी का व्यक्तित्व ही ऐसा था जो सभी उन्हें बड़ी दादी कहकर संबोधित करते थे क्योंकि वह विशाल हृदय मुक्त विचारों वाली अत्यंत उदार और सर्व प्रति समभाव एवं शुभ भाव रखने वाली थी बाल्यकाल में सभी उन्हें रमा नाम से पुकारते थे किंतु परमात्मा के अतिरिक्त कोई नहीं जानता था कि एक दिन वह विश्व को प्रकाश देने वाली अद्भुत मनी बनेगी इसलिए उन्हें अलौकिक नाम मिला दादी प्रकाशमणि। दादी जी विश्व को परिवार मानकर के चलती थी इसी की यादगार में विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में दादी का स्मृति दिवस मनाया जाता है। ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी अनुभव साझा करते हुए कहा है कि दादी जी में रमणिकता व गंभीरता का सदा समान संतुलन रहा सभी की बातों का और विशेषताओं का वह बड़ा आदर करती थी यही मुख्य वजह थी की दादी जी का सभी अत्यंत सम्मान करते थे। एक विश्व व्यापी आध्यात्मिक संस्था की मुख्य प्रशासिका होते हुए भी अहम उन्हें किसी भी प्रकार से छू नहीं पाया था। वह सभी का ध्यान उस जगत नियंता परमात्मा की ओर आकर्षित करा देती और स्वयं को उसी की छत्र छाया में अनुभव कर निश्चित और निरसंकल्प भी हो जाती थी। दादी जी की सबसे बड़ी विशेषता थी कि उन्होंने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला उन्हें इस बात का गर्भ भी था और प्रसन्नता भी तथा वे इसे परमात्म कृपा अनुभव करती रहे। सभी भाई बहनों ने दादी को पुष्प अर्पित कर अपनी कमी कमजोरी को संकल्प लेकर दादी के स्मृति दिवस पर छोड़ा।
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