वेद और पुराणों का सार हैं श्री प्रज्ञा पुराण : पंडित प्रभाकांत
गायत्री मंदिर में चल रही श्री प्रज्ञा पुराण कथा,
गंज बासौदा/
अखिल विश्व गायत्री परिवार के मार्गदर्शन गायत्री परिवार ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित श्री प्रज्ञा पुराण कथा का वाचन करते हुए शांतिकुंज हरिद्वार प्रतिनिधि पंडित प्रभाकांत जी ने कहा कि प्राचीन काल से ही अच्छी बातें सिखाने के लिए हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों ने कथा कहानियों का सहारा लिया था इसलिए उन्होंने वेद उपनिषद की शिक्षाओं और संदेशों को 18 पुराण लिखकर बताया था।
युग ऋषि वेद मूर्ति तपोनिष्ठ गायत्री परिवार के संस्थापक पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने वेद व्यास जी की तरह वेद पुराणों का भाष्य कर इन सभी शिक्षाओं का सार प्रज्ञा पुराण की रचना कर बताया हैं।
उन्होंने कहा कि कलियुग के सभी दुखों और परेशानियों का कारण अज्ञान कुबुद्धि हैं। जिस सद्बुद्धि और ज्ञान के माध्यम से ही दूर किया जा सकता हैं। प्रज्ञा का मतलब सद्ज्ञान होता है इसकी शिक्षाओं को आत्मसात कर मनुष्य कलयुग के सभी संकट से मुक्ति पा सकता हैं। इसीलिए प्रज्ञा पुराण की कथा का सुनकर उसका मनन करना चाहिए।
इसके प्रथम खंड में युग की समस्याओं, आस्था संकट का विवरण, भविष्य में प्रज्ञा युग आगमन का सिद्धांत, लोककल्याण का विषय बताया गया हैं।
इसके द्वितीय खण्ड में धर्म के शाश्वत सिद्धांत, सत्य, विवेक, सहनशीलता, कर्तव्य परायणता, अनुशासन अनुबंध, सौजन्य सहकार, परमार्थ पराक्रम, महामानव देवमानव का वर्णन हैं।
तृतीय खंड में परिवार निर्माण, दांपत्य जीवन, शिशु, नारी, बुजुर्गों की भूमिका के बारे में बताया हैं। गृहस्थ आश्रम ही सबसे बड़ा आश्रम हैं अन्य आश्रम भी इसी पर आधारित हैं।
चतुर्थ खंड में पर्व, तीर्थाटन, प्रवाज्य षोडश संस्कार का वर्णन हैं। पंचम खंड में सर्वधर्म समभाव, सभी धर्मो और संप्रदाय के मतों का वर्णन हैं। छटे खंड में देवात्मा हिमालय के ऋषि सत्ताओं के अदृश्य क्रियाओं, यज्ञ विज्ञान, मंत्र शक्ति, औषधि विज्ञान का वर्णन किया गया है।
प्राचीन काल से ही गायत्री महामंत्र गुरुमंत्र रहा हे, जिसमें परमात्मा से सद्बुद्धि और उज्ज्वल भविष्य की प्रार्थना की गई। इसके जाप से सभी दुखों परेशानियों से मुक्ति के साथ ही ईश्वर की प्राप्ति होती हैं।
सभी को गायत्री मंत्र का जाप नियम अनुसार करना ही चाहिए।
यज्ञ भी अनिवार्य कर्म है। हर संस्कार में यज्ञ से ही शुभारंभ होता है।
मीडिया प्रभारी रमाकांत उपाध्याय ने बताया कि कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में गायत्री परिजन श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कथा का वाचन दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक हो रहा है। 7 सितंबर की कथा का समापन होगा।
मुख्य ट्रस्टी एडवोकेट श्याम सुंदर माथुर, उप मुख्य ट्रस्टी जयराम अहिरवार, ब्लॉक समन्वयक महाराज सिंह पटेल, कथा संयोजक तेज नारायण श्रीवास्तव, ट्रस्टी गण श्रीमती लक्ष्मी शर्मा, श्रीमति पूनम तिवारी, महाराज सिंह दांगी,रघुवीर सिंह परिहार, भगवान सिंह राजपूत, वरिष्ठ परिजन एनपीएस तोमर, एसके सैनी, संजय श्रीवास्तव, वेदप्रकाश खरे, धनराज सोनी, सीमा सोनी, राकेश पांडेय , सपना पांडे, संगीता शर्मा, शांति सिंह , परिब्राजक बसंत कुमार पांडे सहित अनेक परिजन मौजूद थे।
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