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मंगलवार, 5 सितंबर 2023

10 साल में दर्जनों से 2 पर आ गये डाक्टर राजीव गांधी चिकित्सालय में जनता को सुबिधा के नाम पर छलावा,

 अस्पताल में नही आना चाहता कोई डॉक्टर: सीएमएचओ*                          
 अस्पताल में स्वास्थ्य  व्यवस्थाये चरमराई
जो है वो भी प्रायवेट में भी जमकर माल सूत रहे*
दवाईयां मिलती नहीं *
गंजबासौदा/
10 साल पहले दर्जनों डाक्टर हुआ करते थे दवाईयां मिलती थी ,हाल नेहाल हो गये , कर्मचारी अधिकारी सरकार हो गये *
  वैसे तो पिछले कई सालो से शासकीय राजीव गाँधी जनचिकित्सालय अस्पताल में चिकित्सको की कमी से व्यवस्था चरमराई हुई है। लेकिन अब तो हद ये हो गई कि अस्पताल में नियमित चिकित्सक एक भी नही है वही अन्य नर्सिंग स्टॉफ की भी भारी कमी है। अस्पताल में सुविधाएं नहीं होने के कारण मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। 
इस संबन्ध में सीएमएचओ योगेश तिवारी का कहना कि अभी हाल ही में अस्पताल में दो चिकित्सक पदस्थ किये गए थे लेकिन वह बीएमओ डॉ प्रमोद दिवान के व्यवहार के चलते अपना रिजाइन देकर जा चुके है वही अस्पताल का अन्य स्टाफ भी इनके व्यवहार से परेशान है। बीएमओ के व्यवहार से कोई बासौदा अस्पताल में नही जाना चाहता। शासन में बैठें जनप्रतिनिधि विकास का ढिंढोरा पीट रहे हैं 150 विस्तर का राग अलाप रहे डाक्टर है ,
नहीं जनता का ईलाज किस से करायेंगे 
वही सिविल अस्पताल का दर्जा प्राप्त इस अस्पताल की दुर्दशा ये है कि अस्पताल में एक भी नियमित तौर से डॉक्टर पदस्थ नही है, वही सौ बेड के इस अस्पताल में महज़ सौलह नर्स ही पदस्थ है तो ऐसे में समझ सकते है कि मरीजों की अस्पताल में क्या दुर्दशा हो रही होगी। अस्पताल में डॉक्टरों ओर नर्सिंग की व्यवस्था न होने से अस्पताल अव्यवस्था के दौर से गुजर रहा है। 
इसके अलावा पर्याप्त बेड एवं चिकित्सक न होने से मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। ज्ञात हो कि इस समय मौसमी बीमारियों की वजह से प्रतिदिन ओपीडी में मरीजो की संख्या बढ़ रही है। 
बाइट:- वही इस संबन्ध में बीएमओ प्रमोद दिवान का कहना है कि डॉक्टरों की व्यवस्था शासन को करना चाहिए अस्पताल में एक भी नियमित डॉक्टर नही है। अस्पताल में ग्रामीण क्षैत्र के समुदाय केंद्रों के दो डॉक्टर सेवाएं दे रहे है। अस्पताल में पदस्थ दो पीजी डॉक्टर किसी निजी कारणों से रिजाइन देकर जा चुके है। जिससे अस्पताल में व्यवस्था चरमरा गई है।
 पूर्व विधायक निशंक कुमार जैन का कहना है कि बासौदावासियो को नए-नए अस्पताल के सपने दिखाए जा रहे है लेकिन असलियत तो ये है कि कमीशनखोरी के चक्कर मे मौजूदा अस्पताल में ही कोई डॉक्टर नही आना चाहता।

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