रक्षाबंधन का अर्थ ही है एक दूसरे की पवित्रता व सम्मान की रक्षा करना- ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी
विदिशा,
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मुखर्जी नगर सेवा केंद्र द्वारा जिला जेल विदिशा में परमात्म रक्षा सूत्र बांधने का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अखिल भारतीय स्वर्णकार महासभा एवं द लायन इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट सह मल्टीमीडिया प्रभारी लायन अरुण कुमार सोनी ने बताया कि ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने कहा कि रक्षाबंधन हम सभी भारतवासियों के लिए एक पावन पर्व है। इस दिन हर बहन अपने भाई को राखी बांधती है। इस आशा के साथ की उसका भाई जीवन भर उसकी और उसकी पवित्रता की रक्षा करेगा। यह बंधन एक ऐसा पवित्र बंधन है। जिसमें एक बार बंध जाने से उस रिश्ते का सम्मान बहुत बढ़ जाता है फिर उस रिश्ते से कभी विकारी दृष्टि वृत्ति उत्पन्न नहीं हो सकती। परंतु आज कलयुग के इस समय पर कुछ आत्मा इस पवित्र बंधन का भी मान नहीं रखते। आज के समय पर हर मनुष्य आत्मा के अंदर यह जो पांच विकार हैं। यह अपने चरम सीमा पर पहुंच चुके हैं। आप भी यहां पर कोई ना कोई विकार करके ही पहुंचे हैं। कभी-कभी तो भाई बहन के पवित्र संबंध को कलंकित कर देते हैं। आज के समय पर पवित्रता तो दूर राखी का महत्व दोनों ही बदल गए हैं। बस साल में एक बार आने वाली रसम बनकर रह गई यह राखी उत्सव, कलयुग के इस भयानक स्थिति को देखकर परमपिता परमात्मा अवतरित होकर, हमें इस पवित्र बंधन राखी का वास्तविक रहस्य बताते हैं। वह हमें अपना असली परिचय देते हैं कि वास्तव में हम शरीर नहीं अपितु यह शरीर को चलाने वाली एक आत्मा है। आत्मा अजर अमर अविनाशी है। जो न मरती है ना जलती है। जबकि यह शरीर विनाशी है। जो की एक समय आने पर समाप्त हो जाता है। इसके पश्चात् आत्मा अपने लिए दूसरा शरीर धारण करती है। जिसको हम पुनर्जन्म कहते हैं। इसका मतलब शरीर बदलता परंतु आत्मा वही रहती है। ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहां की कलयुग के इस अंतिम समय पर परमात्मा आकर हम सबको अपना असली परिचय देते हैं। हम सबकी आपस में एक पवित्र संबंध की स्थापना कर रहे हैं।वे हम सबको सच्ची राखी का अर्थ बता रहे हैं कि जिस दिन हम सब आत्माएं, आपस में भाईचारे का संबंध जोड़ेंगे। एक दूसरे को आत्मीय दृष्टि से देखेंगे। हम एक पिता के बच्चे हैं। इस संबंध की स्मृति से आपस में प्यार और सम्मान की लेनदेन करेंगे। उसी दिन हम सब वास्तव में सच्चा सच्चा रक्षाबंधन उत्सव का पालन कर पाएंगे। रक्षाबंधन का अर्थ ही है एक दूसरे की पवित्रता व सम्मान की रक्षा करना जो कि केवल तब होगा जब हम सब आत्मिक संबंध जोड़ेंगे। राखी बंधन अर्थात आपस में एक पवित्र प्रेम के बंधन में बंधना जो हम सबकी आत्मिक पिता परमात्मा की बताई हुई शिक्षा पर चलकर ही संभव है। अंत में सभी को परमात्म रक्षा सूत्र बांधकर सभी का मुख मीठा कराया गया।
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