*पौराणिक युग से लेकर आज भी प्रासंगिक है महर्षि नारद : मीणा
*शरद न्यास स्मृति के तत्वाधान में महर्षि नारद जयंती का आयोजन
*गंजबासौदा,
पौराणिक युग से लेकर आज भी महर्षि नारद का चरित्र प्रासंगिक हैं। नारद केवल संदेश वाहक ही नहीं थे वह एक उच्च कोटि के लेखक भी थे इसका प्रमाण पुराणों में मिलता है। उनके द्वारा लिखे गए नारद पुराण,नारद स्मृति, नारद भक्ति सूत्र में इसका उल्लेख मिलता है। उन्होंने पुराणों में जात-पात के भेद की बात नहीं की बल्कि विद्वता का समर्थन किया, चाहे फिर वह किसी वर्ग से हो।
यह बात शरद स्मृति न्यास के तत्वाधान में स्थानीय घटेरा धर्मशाला में देवऋषि नारद जयंती के मौके पर आयोजित एक परिचर्चा में भोपाल से पधारे वरिष्ठ पत्रकार भीम सिंह मीणा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ देव ऋषि नारद जी की चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण से हुआ। इस मौके पर न्यास द्वारा पत्रकार श्री मीणा का शाल श्रीफल से सम्मान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघचालक विनोद शाह द्वारा की गई। श्री मीणा ने कहा कि देव ऋषि नारद पत्रकारों के गुरु रहे हैं हिंदुस्तान का पहला अखबार नारद जयंती पर कोलकाता से प्रारंभ हुआ था। उन्होंने कहा कि नारद जी को हमें करीब से और जानना है तो उनके द्वारा लिखे गए साहित्य को जब हम पढ़ेंगे तो हमें मालूम पड़ेगा कि उन्होंने विपत्ति के समय किस तरह धैर्य रखते हुए विवेक का इस्तेमाल किया। सोशल मीडिया के इस दौर में हर पत्रकार को प्रमाणिकता के साथ खबर का प्रकाशन करना चाहिए और अपने सोर्स मजबूत करते हुए अपडेट रहने की आदत डालना चाहिए। नारद जी के सोर्स राक्षसों और देवताओं के बीच होते थे यह सीख हमें नारद जी के चरित्र से मिलती है।
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