शिक्षकों से कुत्ते भगाने का आदेश—राज्य सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था का अपमान : सुभाष बोहत
भोपाल
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री सुभाष बोहत एडवोकेट तथा पूर्व जिला पंचायत नेता प्रतिपक्ष सुभाषिनी बोहत एडवोकेट ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी उस निर्देश की कड़ी निंदा की है, जिसमें स्कूल शिक्षकों को पढ़ाने के साथ-साथ आवारा कुत्तों को भगाने की जिम्मेदारी भी दे दी गई है।
दोनों नेताओं ने कहा कि शिक्षक का दायित्व बच्चों को ज्ञान देना, चरित्र निर्माण करना और उन्हें संस्कारित नागरिक बनाना होता है, न कि विद्यालय परिसर में जानवरों को दौड़ाना। सरकार द्वारा दिया गया यह निर्देश न सिर्फ अव्यावहारिक है, बल्कि शिक्षक समुदाय का खुला अपमान भी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में विभाग ने अपनी जिम्मेदारी शिक्षकों पर थोप दी है, जबकि आवारा पशुओं को नियंत्रित करना नगर निगम तथा स्थानीय प्रशासन का दायित्व है।
सुभाष बोहत ने कहा कि यदि किसी बच्चे को कुत्ता काट लेता है तो शिक्षक पर कार्रवाई करने की धमकी देना सरकार की तानाशाही मानसिकता को दर्शाता है। यह शिक्षकों को भय में रखकर काम कराने का प्रयास है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। शिक्षक समाज का मार्गदर्शक होता है, और उसे इस प्रकार “कुत्ते भगाने” जैसे कार्यों में लगाना शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने वाला निर्णय है।
सुभाषिनी बोहत एडवोकेट ने कहा कि पूरे प्रदेश में स्कूलों में पहले ही स्टाफ की भारी कमी है, कई विद्यालयों में बाउंड्री वॉल तक नहीं है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ डालने के बजाय सरकार को चाहिए कि वह विद्यालयों में सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करे, नगर निगम को सक्रिय करे और परिसर में आवारा कुत्तों के प्रवेश पर रोक लगाए।
दोनों नेताओं ने सरकार से इस आदेश को तत्काल वापस लेने, शिक्षकों से किए गए अपमानजनक व्यवहार के लिए माफी मांगने और स्कूलों में नियमित सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है।
उन्होंने साफ कहा कि “शिक्षक बच्चों को संस्कारित नागरिक बनाते हैं, न कि कुत्ते भगाने का काम करते हैं। सरकार का यह निर्देश शिक्षा विभाग और शिक्षकों का अपमान है और इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।”
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