*निजी स्कूलों में एडमिशन फीस के लिए सरकारी आदेश हवा हवाई
जानकारी अनुसार
नेहरू चौक पर स्थित एक दुकान कई वर्षों से स्कूलों का ठेका लेकर मोटी-मोटी रकम में दे रहे हैं काफी किताबें क्या स्कूलों की मजबूरी है कि एक ही दुकान से सारा सामान लिया जाए या फिर कोई कमीशन का मामला है*
*बड़ी कक्षाओं के लिए सालाना फीस 20 से 40,हजार के ऊपर*
• *हर साल एडमिशन फीस के नाम पर होती है अच्छी खासी वसूली*
गणवेश के भी वही हाल जहां मिलनी थी वहीं मिल रही नहीं हे मुख्यमंत्री का खोप,
यही हाल किताबों कोर्स से हटकर हजारों रू की बुक
लुटते रहो चुपचाप खरीदो ,
नहीं हुई जांच प्रशासन से बएखओप शिक्षा माफिया,
विदिशा जिला/
विदिशा /
गंजबासौदा,
जिला की तहसीलों के बुरे हाल नहीं सुनता कोई मुख्यमंत्री का आदेश ,भी नहीं मानता ,जिस वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यह आदेश प्रसारित किए थे कि अब निजी विद्यालयों की मनमानी नहीं चलने पाएगी तथा उनकी हर गतिविधियों पर हमारी नजर
जिले में पुस्तक सारीदी और ड्रेस खरीदी पर भी लगाम लगाई जाएगी। लेकिन जो स्थितियां अब देखने को मिल रही है उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उन आदेशों का कहीं पर 25 फीसदी भी पालन नहीं हो रहा है। शुरू में रीवा जिले के अधिकारियों ने दबाव बनाया अब खेला में तब्दील हो चुका है।
कोई अधिकारी भी जांच करना उचित नहीं समझता
गौर तलब है कि मध्य प्रदेश
सरकार ने एक गाइडलाइन जारी किया जिसमें कहा गया था कि मध्य प्रदेश में प्राइवेट स्कूल 10 प्रतिशत से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकेंगे, यदि इससे ज्यादा फीस बढ़ानी हो तो जायज कारण बना कर सरकार को प्रस्ताव भेजना होगा। स्कूल शिक्षा विभाग की गाइडलाइन में कहा गया है कि नए सेशन से एडमिशन लेने वाले छात्रों से केवल एक ही बार एडमिशन फीस ली जाएगी। अगली कथा में प्रवेश लेने पर स्कूल छात्रों से दोबारा एडमिशन फीस नहीं वसूल सकेंगे। अगर संस्था स्कूल डेवलपमेंट के नाम पर राशि लेती है तो वह भी एक माह की फीस की गशि से ज्यादा नहीं होगी। नई गवलइन सत्र 2024-25 से लागू होगी पिछले एक साल से प्रदेश भर में पालक संघों द्वारा प्राइवेट स्कूलों
द्वारा बढ़ाई जाने वाली फीस का विरोध किया जा रहा है। शासन ने फीस रेगुलेटरी कमेटी के गठन के बाद आने वाली दिकतों को देखते हुए गाइडलाइन जारी करना बेहतर समझा है। कहा जा रहा है कि कमेटी बनाने के लिए सरकार को एक्ट बनाना पड़ता। इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एसआर मोहंती का कहना है कि गाईड लाइन का उल्लाघन करने पर स्कूलों की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी। उनकी नजर में स्कूलों पर और एजुकेशन नियंत्रण के लिए गाइडलाइन पर्यात है। एक्सपीरियंस के आधार पर इसमें संशोधन की गुंजाइश है। गौर तलब है कि जिला स्तरीय शुल्क विनियमन समिति के अध्यक्ष कलेक्टर होंगे। छह सदस्य होंगे। एक माह में शिकायत का निराकरण होगा। आपत्ति होने पर पैरेंट्स संभाग स्तरीय समिति में अपील कर सकेंगे। इसके अध्यक्ष संभागायुक्त होंगे। इसे आपत्तियों का निराकरण 45 दिनों में करना होगा।
*आदेश हुआ था यह*
केपीटेशन फीस ,दान या उपहार के नाम पर कोई भी राशि वसूलना
पूरी तया प्रतिबंधित होगा।
एडमिशन फॉर्म निशुल्क मिलेगा। शुल्क लिया भी जाता है तो 10 रुपए से ज्यादा नहीं। किताब, यूनिफॉर्म व अन्य सामग्री खुले बाजर से खरीदी जा सकेंगी। यूनिफॉर्म कम से कम पांच साल तक नहीं बदली जाएगी। स्कूल सामग्री तीन दुकानों में उपलब्ध कराना जरूरी। एजुकेशन सेशन के दौरान स्कूल किसी प्रकार की नई फीस लागू नहीं कर सकेंगे। स्कूल लेट फीस पर चार्ज कर सकेंगे। लेकिन एक प्रतिशत प्रति माह की दर से अधिक नहीं।
*सब कुछ यथावत चल रहा है साहब..*.
निजी स्कूलों की मनमानी रुक नहीं पा रही है। ज्यादातर अभिभावक अभी सरकारी विभिन्न आदेशों से अनजान से भी है। वहीं दूसरी और अभिभावक संबंधित स्कूल की शिकायत करने से भी डरते हैं अयोंकि अगर उनका नाम सामने आ गया तो बच्चे का भविष्य भी खराब हो सकता है। उपर राज्य सरकार ने हर साल एडमिशन फीस पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन दूसरी ओर जिले में तहसीलों में रिपीट एडमिशन फीस ली जा रही है। उसके लिए तरीका बदल गया है उसकी कई जगह रसीद नहीं दी जा रही बल्कि केवल रजिस्टर एन्ट्री की जाती है। हालांकि सरकार ने पहल तो शुरू कर दी है इसका परिणाम भी बेहतर देखने को मिल सकता है लेकिन पहले साल होने की वजह से इस साल तो अभिभावक लुट ही रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें